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Rail Budget 2012
यूं तो रेल पटरी पर चलती है लेकिन कल जब सदन में रेल बजट पेश होगा तो आपको पता चलेगा कि रेल वादों पर भी चलती है. भारतीय रेल बजट में कई बार ऐसी अनोखी रेलें भी दौड़ाई जाती हैं जो “कागजों और फाइलों” पर चलती हैं. खैर पिछली बार ममता बनर्जी ने रेल बजट के दौरान वादों का पिटारा खोला था और इस बार यह काम करेंगे केन्द्रीय रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी.
बढ़ेगा किराया
संसदीय सलाहकार समिति के सांसदों ने उनसे एक सुर में मांग की कि रेलवे की बेहतरी के लिए उन्हें किराया-भाड़ा बढ़ाने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए. यह पहला मौका है जब सांसदों की तरफ से किराया बढ़ाने को लेकर समर्थन आया है. पिछले एक दशक में ईंधन, बिजली, स्टील, सीमेंट समेत हर चीज के दाम कई गुना बढ़े हैं तथा रेल कर्मियों के वेतन में भी बढ़ोत्तरी हुई है. इस हिसाब से किराये-भाड़े नहीं बढ़े हैं. ऐसे में उम्मीद है कि इस रेल बजट में आम जनता पर रेलवे की मार पड़नी तय मानी जाए.
अगर रेल किराए बढ़ते हैं तो आम आदमी सच में बहुत ज्यादा परेशान होगा. आज रेल मुंबई और कई अन्य महानगरों के आम आदमियों की लाइफ लाइन मानी जाती है. आम आदमी के लिए किरायों में मामूली बढ़त भी कमर तोड़ने वाली साबित हो सकती है.
नई ट्रेनें
इस रेल बजट में बुलेट ट्रेन चलाने जैसे प्रावधानों के होने की उम्मीद जताई जा रही है. उम्मीद यह भी है कि कई जगहों पर डबल डेकर ट्रेन देखने को मिल जाएं. पिछले काफी दिनों से जनता और सरकार के बीच बुलेट ट्रेन को लेकर चर्चा गर्म थी और हो सकता इस रेल बजट में इस बाबत को ठोस कदम उठा लिया जाए. हालांकि बढ़ती जनसंख्या और सड़कों पर बढ़ते जाम को देखते हुए एक कदम बेहद सराहनीय होगा पर इसमें होने वाला खर्च जरूर एक विचारणीय विषय रहेगा.
सुरक्षा
सैम कमेटी की रिपोर्ट में न सिर्फ रेल की सुरक्षा को बढ़ाने पर जोर दिया गया है बल्कि रिपोर्ट में रेलवे के आधुनिकीकरण को भी तेज करने पर जोर दिया गया है. रिपोर्ट में करीब बीस हजार किलोमीटर रेलवे लाइन के साथ-साथ कई रेलवे क्रासिंग को भी अपग्रेड करने और रेल में बढ़ रहे आपराधिक मामलों को रोकने के लिए रेलवे पुलिस फोर्स के आधुनिकीकरण की जोरदार वकालत की गई है.
देखते हैं आज रेल बजट में रेल मंत्री कितनी रेलों को कागजों पर दौड़ाते हैं और कितनी रेलें सच में लोहे की पटरी पर दौड़ पाती हैं.
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